वैल्डिंग क्या है? वेल्डिंग कितने प्रकार की होती है? What is Welding |Types of welding

  वैल्डिंग क्या है? What is Welding 


वैल्डिंग (Welding)-यह एक तकनीक है जिसके द्वारा हम धातुओं को स्थायी रूप से जोड़ते हैं, अर्थात् वह क्रिया है, जिसके द्वारा हम धातुओं को एक उचित तापमान पर दबाव (Pressure) या बिना दबाव के जोड़ सकते हैं। जोड़ की खाली जगह को भरने के लिए Filler Metal का प्रयोग करते हैं, मूल धातु लेकिन कुछ प्रकार की वैल्डिंग में फिलर मैटल अर्थात् पूरक धातु की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें फिलर धातु का गलनांक जोड़ी जाने वाली धातु से कम होना चाहिए।वैल्डिंग लगभग 1500 वर्षों से प्रचलित है, लेकिन प्राचीन समय में फोर्ज वैल्डिंग का ही प्रयोग किया जाता था।


 वेल्डिंग कितने प्रकार की होती है? Types of welding

 

1.ARC WELDING

2.GAS WELDING

3.LASER BEAM WELDING

4.ELECTRON BEAM WELDING

5.ULTRASOUND WELDING

6. FRICTION WELDING

7. SPOT WELDING

8. SEAM WELDING

9. FLASH WELDING

10.RESISTANCE WELDING

11. OFFSET WELDING

12. PROJECTION WELDING


  •  वैल्डिंग से सम्बन्धित सुरक्षा कितने प्रकार की होती है

वैल्डिंग से सम्बन्धित सुरक्षा तीन प्रकार की होती है-

1. वर्कशाप की सुरक्षा (Workshop Safety)

2. औज़ारों व यंत्रों की सुरक्षा (Tools and Equipments Safety)

3.स्वयं या निजी सुरक्षा (Self or Personal Safety)










 वैल्डिंग के लाभ तथा हानियां 

  • वैल्डिंग के लाभ (Advantages of Welding)-

1. वैल्डिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा धातु के बने पार्टी या वस्तुओं को आसानी से जोड़ा जा सकता है।

2. इसके द्वारा एक समान धातुओं या दो अलग-अलग धातुओं को आपस में जोड़ा जाता है।

3. वैल्डिंग द्वारा तैयार जोड़ (Joint) की ताकत (Strength) मूल धातु जितनी होती है।

4. टूटे पार्टी की मुरम्मत वैल्डिंग द्वारा आसानी से हो जाती है।

5. विद्युत ट्रांसफार्मर, टी. वी. टॉवर तथा भारी कारखानों की स्थापना का  अधिकतर कार्य वैल्डिंग द्वारा ही सम्भव है।

6. बाम्बे हाई (Bombay High) जैसे तेल निकालने के संयंत्रों में समुद्र के अन्दर भी वैल्डिंग की जाती है।

7. आवश्यकतानुसार वैल्डिंग मशीनों को ले जाकर कहीं भी वैल्डिंग की जा सकती है, जिससे कठिन कार्य भी आसान हो जाते हैं।

8. टूटे पार्ट को बदलने में जहां पैसे अधिक लगते हैं, वहीं टूटे पार्ट की मुरम्मत वैल्डिंग द्वारा करके पैसों की बचत होती है।


  • वैल्डिंग की हानियां (Disadvantages of welding)-वैल्डिंग की कुछ

हानियां होती हैं,


1. वैल्डिंग करते समय जो चमक या रोशनी (Light) पैदा होती है व धुआं निकलता है, उससे आंखों को नुक्सान पहुंचता है यदि इससे बचाव न किया जाए।

 2. वैल्डिंग उपकरण बिजली द्वारा चलाए जाते हैं इसलिए इन्हें प्रयोग करते समय बहुत ही सावधानी की आवश्यकता होती है।

3. वैल्डिंग की प्रक्रिया केवल कुशल कारीगरों द्वारा ही की जा सकती है।

4. वैल्डिंग करते समय तापमान बहुत अधिक हो जाता है जिससे वैल्ड की जाने वाले पार्टी की सतह की अन्दरूनी बनावट बदल जाती है।

5. वैल्डिंग करने से पहले पार्टी की तैयारी (Preparation) करनी अनिवार्य होती है जैसे एज तैयार करना जिससे समय अधिक लगता है।

 


उपयोग (Uses)-

आजकल वैल्डिंग का प्रयोग बहुत अधिक होता है,

1. रेल (Railways)-रेल डिब्बे बनाने तथा रेलवे के बहुत से रिपेयर वर्क के लिए वैल्डिंग का प्रयोग किया जाता है।







2. हवाई जहाज के निर्माण के लिए (Aeronautical Industry)- हवाई जहाज निर्माण उद्योग में वैल्डिंग का प्रयोग बहुत अधिक किया जाता है।

जैसे Air Craft की बॉडी।



3. ऑटो मोबाइल उद्योग (Automobile Industry)-इसमें बस, कारें,

ट्रक, स्कूटर और मोटर साइकिल इत्यादि बनाये जाते हैं।

4. ट्रैक्टर उद्योग (Tractor Industry)-ट्रैक्टर उद्योग में वैल्डिंग का

प्रयोग ट्रैक्टर ट्राली व ट्रैक्टर पार्ट्स बनाने के लिए करते हैं।



5.आर्डीनैंस फैक्टरियां (Ordinance Factories)-इस प्रकार के उद्योग

युद्ध सम्बन्धी सामग्री तैयार करते हैं जैसे टैंक, मोटर गाड़ियां, राकेट, तोपें, व

रते बन्दूकें इत्यादि । इन सभी में वैल्डिंग का उपयोग किया जाता है।



6. भवन निर्माण (Building Construction)-बड़े-बड़े भवनों के है। ढांचे वैल्डिंग द्वारा तैयार किए जाते हैं।

7. पुल बनाने (Bridger)-लोहे के पुल बनाने के लिए वैल्डिंग का प्रयोग किया जाता है।





8. अन्तरिक्ष उद्योग (Aeroseape Industry)-यह एक आधुनिक उद्योग है और इसकी मशीनों का निर्माण भी वैल्डिंग के बिना असंभव है।







9. बांध (Dams)-बड़े-बड़े बांध बनाने के लिए भी वैल्डिंग का प्रयोग

किया जाता है।







10.फर्नीचर उद्योग (Furniture Manufacutring)-आजकल बनाया

जाने वाला लोहे का फर्नीचर जैसे मेज़, कुर्सियां, अल्मारियां व चारपाइयां इत्यादि

वैल्डिंग के द्वारा ही तैयार किए जाते हैं।



11. भारी उद्योग (Heavy Industries)-बड़े उद्योग जैसे सीमेंट उद्योग,

कपड़ा मिल, चीनी मिल, पेपर उद्योग, तेल शोधक कारखानों व दवाइयां बनाने

के उद्योग इन सभी में वैल्डिंग का काम बहुत अधिक किया जाता है।


12. खनिज पदार्थ उद्योग (Minerals Industries)-इसे Milling

Industry भी कहते हैं। इसमें पृथ्वी के नीचे से खनिज पदार्थ निकाले जाते हैं जैसे लोहा, तांबा, इस्पात और कोयला इत्यादि। इन सभी उद्योगों में वैल्डिंग का प्रयोग किया जाता है।



वेल्डिंग शॉप में प्रयोग किए जाने वाले टूल्स के नाम

1.स्टील रूल (Steel Rule)

2.स्टील टेप (Steel Tape)

3. ट्राई स्क्वायर (Try Square)

4.रेती (File)

5. डॉट पंच (Dott Pinch)

6.स्क्राइवर (Scriber)

7. हैमर (Hammer)

8. छैनी (Chisel)

 9. डिवाइडर (Divider)

 10. चिपिंग हैमर (Chipping Hammer)

 11. वायर ब्रश (Wire Brush)

12. वैल्डिंग स्क्रीन (Welding Screen)

13. हैल्मेट (Halmet)

14. चिपिंग गॉगल्स (Chipping Goggles)

15. टौंग्स (Tongs)

16. इलैक्ट्राड होल्डर (Electrode Holder)

17.अर्थ कलैम्प (Earth Clamp)

18. वैल्डिंग टेबल (Welding Table)

19. वैल्डिंग बूथ (Welding Booth)

20. दस्ताने, एप्रन तथा लैग गार्ड आदि (Gloves, Apron auards etc.)

21. पोर्टेबल वैल्डिंग स्क्रीन (Portable welding Screen)

22. वैल्डिंग रॉड होल्डर (Welding Rod Holder)

23. वैल्ड गेजें (Weld Gauges)

24. हैक्सॉ (Hack-saw)




1. स्टील रूल (Steel Rule)
-इसका प्रयोग जॉब का माप लेने के लिए.

करते हैं। यह 150, 300 और 600 mm के साइज़ों में मिलते हैं।

2. स्टील टेप (Steel Tape)-स्टील टेप 3 मीटर या 6 मीटर की होती है आदि इसलिए वैल्डिंग में लम्बी जॉब का माप लेने के लिए इसका प्रयोग करते हैं। इससे टेढ़ी-मेढ़ी जॉब का साइज़ भी मापा जाता है।



3. ट्राई स्क्वायर (Try Square)-वैल्डिंग करते समय जॉब को 90° अर्थात् समकोण पर सैट करने के लिए इसका प्रयोग करते हैं। यह 100, 150 और 200 mm साइज़ में मिलते हैं।

4. रेती (File)-वैल्डिंग शॉप में वैल्ड की जाने वाली जॉब की तैयारी करने के लिए रेती का प्रयोग किया जाता है। यह कार्बन स्टील की बनी होती है, टैंग को छोड़ कर बाकी सारी रेती हार्ड और टैम्पर होती है। इसकी लम्बाई शोल्डर से प्वाइंट तक ली जाती है। यह अलग-अलग प्रकार की होती है।



5. डॉट पंच (Dott Pinch)
-जॉब की मार्किंग रेखाओं को पक्का करने के लिए डॉट पंच का प्रयोग करते हैं। यह हाई कार्बन स्टील की रॉड का बना होता है। इसकी लम्बाई 100 mm और व्यास 12 mm होता है । इसका प्वाइंट ऐंगल 60° होता है। इसकी बॉडी नलिंग की हुई होती है।

6.स्क्राइवर (Scriber)-इसका प्रयोग मार्किंग करते समय लाइन (Line)लगाने के लिए कहते हैं। यह Tool Steel की तार का बना होता है। इसकी लम्बाई 150 mm से 200 mm तक होती है। इसका एक सिरा नुकीला तेज़ होता है, जबकि दूसरा सिरा 90° के कोण पर मुड़ा होता है और प्वाइंट तेज़ होता है। इसका प्वाइंट ऐंगल 12 से 15° के कोण पर ग्राइंड होता है।

7. हैमर (Hammer)-वैल्डिंग शॉप में जॉब को सीधा करने तथा छैनी आदि पर चोट लगाने के लिए हैमर का प्रयोग करते हैं । यह Ball peen, Cross peen और Straight peen तीन प्रकार के होते हैं। यह कास्ट स्टील (Cast Steel) के बने होते हैं।




8. छैनी (Chisel)
-वैल्डिंग शॉप में पतली शीटों सरिया, तार व (Meshwire) आदि को काटने के लिए फ्लैट छैनी (Flat Chisel) का प्रयोग किया जाता है। यह हाई कार्बन स्टील की बनी होती है तथा हार्ड और टैम्पर होती है।

9.डिवाइडर (Divider)-यह एक मार्किंग टूल है। इसका प्रयोग जॉब पर चाप व वृत्त लगाने तथा लम्बाई को बराबर भागों में बांटने के लिए करते हैं। यह का बना होता है तथा इसके वर्किंग प्वाइंट केस हाई होते हैं।



10. चिपिंग हैमर (Chipping Hammer)-वैल्डिंग शॉप में वैल्ड जोड़ को चैक करने तथा Slag को उतारने के लिए प्रयोग किया जाता है।

11. वायर ब्रश (Wire Brush)-यह लोहे की तारों का ब्रश होता है। इसका प्रयोग वैल्ड ज्वाइंट को साफ करने के लिए होता है ताकि वैल्ड क्रैक चैक किए जा सके। इसका प्रयोग एक ही दिशा में चलाकर करना चाहिए। इसकी तारें अधिक गर्म ज्वाइंट पर रगड़ने से अपनी लचक खो देती हैं इसलिए इसका प्रयोग ध्यानपूर्वक करना चाहिए।



12. तथा 13. वैल्डिंग हैण्ड स्क्रीन और हैल्मेट (Welding Hand Screen and Halmet)-यह वैल्डर की आँखों तथा चेहरे की आर्क की तेज तथा हानिकारक रोशनी से बचाव करती है। आर्क न केवल रोशनी ही बल्कि न दिखाई देने वाली अल्ट्रावायलट (Ultraviolet) तथा इन्फ्रारेड (Infra-red) किरणें भी उत्पन्न करती है। ये किरणे आंखों तथा त्वचा के लिए बहुत हानिकारक होती हैं तथा इन्हें 15 मीटर तक नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए।  हैण्ड स्क्रीन को हाथ से पकड़ कर प्रयोग किया जाता है। जबकि हैल्मेट को सिर पर ढका जाता है ।  इसमें  रंगदार सीसा (Coloured Glass) के साथ दोनों तरफ प्लेन शीशे (Plain Glasses) फिट होते हैं ताकि आर्क (Arc) और पिघली धातु (Molten Pool) को वैल्डिंग करते समय देखा जा सके।  हैल्मेट स्क्रीन वैल्डर के लिए अधिक उपयोगी है। रंगदार फिल्टर ग्लास (Colored Filter Glass) विभिन्न शेड (Shades) में करंट रेंज के अनुसार बनाए जाते हैं।



14.चिपिंग गॉगल्स (Chipping Goggles)-इन्हें चिपिंग गॉग्लस (Chip- ping Goggles) भी कहते हैं। ये साफ शीशों की बनी होती हैं। इसका प्रयोग चिपिंग व ग्राइडिंग करते समय आंखों की सुरक्षा के लिए किया जाता है । इसका फ्रेम बैकलाइट (Bakelite) का होता है, जिसमें (Glass) शीशा फिट होता है। इसे सिर पर फिट करने के लिए इसमें इलास्टिक बैण्ड (Elastic Band) लगी होती है। यह इस प्रकार से डिज़ाइन की होती है कि इसमें से हवा आ सके और यह सभी तरफ से पूर्णतया सुरक्षित होती है । ऐनक का प्रयोग चिपिंग करते समय किया जाता है ताकि आंखों में  CHIPS ना पड़े



15. टॉग्स (Tongs)-वैल्डिंग शॉप में गर्म पार्ट को पकड़ने के लिए जिस औजार का प्रयोग करते हैं, उसे टॉग्स या संडासी कहते हैं । ये माइल्ड स्टील की बनाई जाती हैं। इसके तीन प्रमुख भाग होते हैं-1. बिट (Bil), 2. रिवेट (Rivet), 3. हैण्डल (Handle)

(A) फ्लैट ओपन माकथ टॉग्स (Flat Open Mouth Tongs)

(B) फ्लैट क्लोज माऊथ टौंग्स (Flat Close Mouth Tongs)

(C) पिकअप टॉग्स (Pickup Tongs)

(D) हॉलो बिट टॉग्स (Hollow Bit Tongs)

(E) बोल्ट टॉग्स (Bolt Tongs)

(F) साइड टॉग्स (Side Tongs)

(G) ऍगल आयरन टॉग्स (Angle Iron Tongs)


पकड़ने, पतली चादर पकड़ने, रिवेट या कील पकड़ने, बोल्ट या रिवेट पकड़ने, 90° के कोण पर जॉब को पकड़ने तथा ऐंगल आयरन आदि पकड़ने के लिए किया जाता है।



16. इलैक्ट्राड होल्डर (Electrode Holder)-इलैक्ट्राड (Electrode)या वैल्डिंग रॉड (Welding Roc) को पकड़ने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। ये विशेष प्रकार के कलैम्प हैं, जिनके साथ इन्सुलेटिड हैंडल लगा होता है। वैल्डिंग करंट हैण्डल में से इलैक्ट्राड को दिया जाता है। इसके जबड़े (Jaw) तांबे  को मिश्र धातु के बने होते हैं। इन्हें रिप्रंग या स्क्रू की सहायता से बंद किया जाता है। एक अच्छे इलैक्ट्राड होल्डर का चुनाव निम्नलिखित बातों के आधार पर किया जाता है-

1. यह हर प्रकार की इलैक्ट्राड को पकड़ने योग्य होना चाहिए।

2.इसका भार कम होना चाहिए ताकि प्रयोग करते समय थकावट महसूस न हो।

3. इसकी बैलेंसिंग सही होनी चाहिए।

4. इससे वैल्डिंग रॉड आसानी से बदले जाने चाहिएं।

5. इलैक्ट्राड केबल के साथ इसका जोड़ मजबूत लगा होना चाहिए।

6. यह वैल्डिंग करते समय गर्म नहीं होना चाहिए।

  • सावधानी-इलैक्ट्राड होल्डर के जबड़े (Jaws) इन्सुलेट नहीं होते हैं,

इसलिए इसे जॉब (Job) पर नहीं रखना चाहिए इससे स्पार्किग (Sparking) हो

सकती है तथा शार्ट सर्किट हो जाने पर मशीन पर लोड (Load) पड़ सकता है।



17. अर्थ कलैम्प (Earth Clamp)-इसे ग्राऊण्ड क्लैम्प भी कहते हैं। इसका प्रयोग अर्थ केबल (Earth Cable) को वैल्डिंग टेबल या जॉब के साथ जोड़ने के लिए किया जाता है। उचित वैल्डिंग के लिए अच्छे ग्राऊण्ड क्लैम्प या अर्थ क्लैम्प का होना जरूरी है। अर्थ क्लैम्प तांबे या तांबे के अलाय के बनाए जाते हैं




18. वैल्डिंग टेबल (Welding Table)
-छोटी-छोटी जॉब की वैल्डिंग करते समय उन्हें सही सैट करने के लिए मेज़ की सतह का प्रयोग किया जाता है, जिससे वैल्डिंग में आसानी होती है। इसकी टांगें (Legs) व फ्रेम ऐंगल आयरन या पाइप का तथा टॉप, लोहे की मोटी प्लेट का बना होता है। कुछ वैल्डिंग टेबल एडजस्टेबल भी बनाए जाते हैं, जिनकी ऊंचाई कम या ज्यादा की जा सकती है। इन पर जॉब को किसी भी पोजीशन में रख कर वैल्ड किया जा सकता है।



19. वैल्डिंग बूथ (Welding Booth)-यह वैल्डिंग करने का एक छोटा-सा कमरा है, जिसका प्रयोग वर्कशाप में काम कर रहे अन्य वर्करों को आर्क की तेज़ तथा आँखों के लिए हानिकारक रोशनी से बचाने के लिए किया जाता है। इसका अन्दर का क्षेत्रफल कम से कम 3 से 4 वर्गमीटर अवश्य होना चाहिए। वैल्डिंग बूथ में वैल्डिंग टेबल, स्टूल, एग्जास्ट हुड (Exhaust Hood) तथा रोशनी का प्रबन्ध होना चाहिए। इसकी दीवारों पर पीला या काले रंग का पेंट होना चाहिए ताकि आर्क लाइट की किरणें परिवर्तित होकर वैल्डर की आंखों पर बुरा प्रभाव न डाल सके



21. पोर्टेबल वैल्डिंग स्क्रीन (Portable welding Screen)-इसका प्रयोग नज़दीक कार्य कर रहे वर्करों को वैल्डिंग की रोशनी व चिप्स से बचाने के लिए किया जाता है। इनको आवश्यक स्थिति में सैट किया जा सकता है। इनका प्रयोग अधिकतर वैल्डिंग बूथ से बाहर, वैल्डिंग करने के लिए किया जाता है।





22.वैल्डिंग रॉड होल्डर(Welding Rod Holder)-इसका प्रयोग वैल्डिंग रॉड को रखने के लिए करते हैं । यह चमड़े की सिलाई करके बनाया जाता है। इसे वैल्डर अपने पास ही रखता है ताकि उसको वैल्डिंग रॉड बदलने के लिए बार-बार न जाना पड़े।





23. वैल्ड गेजें (Weld Gauges)-इनका प्रयोग जोड़ में भरी गई प्रकार लिखो। फिलर मैटल की मोटाई आदि मापने के लिए किया जाता है। अलग साइज की होती हैं। इनकी सहायता से बट तथा फिलिट जोड़ भी  चैक किए जाते हैं।


 














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