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हाइड्रॉलिक सिलिण्डर क्या है ? हाइड्रोलिक सिलिण्डर के प्रकार इसके मुख्य भागों के नाम । हाइड्रॉलिक मोटर्स के प्रकार ?

हाइड्रॉलिक सिलिण्डर क्या है ? इसके मुख्य भागों के नाम ।

  • हाइड्रोलेक सिलिण्डर (Hydraulic cylinder) : यह हाइड्रॉलिक सिस्टम का एक बहुत ही महत्वपूर्ण कम्पोनेन्ट है। यह हाइड्रॉलिक का उपभोक्ता है। यह हाइड्रॉलिक पदार्थ कह ऊर्जा को उपयोगी कार्य हेतु परिवर्तित करता है। इसका इनपुट वैल्यु हाइड्रॉलिक फल्यूड है जो हाइड्रॉलिक सिलिण्डर की सतह पर प्रेशर के अन्तर्गत कार्य करता है। इसी के कारण  पिस्टन लीनियर गति करता है और पिस्टन रॉड लोड load से जुड़ी होती है। इसलिए हाइड्रॉलिक द्रव की ऊर्जा को एक नियन्त्रणीय शक्ति में बदला जाता है। जो एक सीधी रेखा में कार्य करता है। खनिज तेल को हाइड्रॉलिक मीडियम के रूप में प्रयोग करते है। इसके लिए सिन्थेटिक ऑयल और पायस emulsions (जल हाइड्रॉलिक्स) भी प्रयोग किये जाते है।

  •  Main parts of Hydraulic cylinder :-  हाइड्रॉलिक सिलिण्डर के निम्न प्रमुख भाग होते है।



1. हाइड्रॉलिक सिलिण्डर बैरल (Hydraulic cylinder Barrel) यह एक सीमलैस फोर्जड ट्यूब है जिसका अन्दरूनी साइज बहुत ही शुद्ध रूप में ग्राइण्ड Ground और होनिंग Honning किया हुआ होता है।

2. हाइड्रॉनिक सिलिण्डर बेस (Hydraulic cylinder Base) :-  यह सिलिण्डर बैरल के साथ वैल्डिंग द्वारा या स्क्रूज से जुड़ा होता है। कुछ सिलेंडर में इसमें flange  होता है।

3.हाइड्रॉलिक सिलिण्डर हैड (Hydraulic cylinder Head):-  यह स्कूज द्वारा जुड़ा होता है परन्तु वैल्ड भी किया जा सकता है। इसे भी बैरल के साथ जोड़ा जाता है इसमें स्प्रिंग रिंग भी साथ फिट होता है। सिलिण्डर हैड के अन्दर ग्रूव होता है जिसमें पिस्टन रॉड सील, रॉड वाइपर और ग्लैण्डस होते है।

4. हाइड्रॉलिक सिलिण्डर पिस्टन रॉड (Hydraulic cylinder Piston rod) :- यह बहुत ही उच्च शुद्धता High Tolerance की हार्ड क्रोम प्लेटिड, कोल्ड रोल्ड स्टील की बनी होती है। यह पिस्टन के एक तरफ माऊन्ट की होती है। यह सिलिण्डर हैड से सिलिण्डर के अन्दर प्रदेश करती है। इसकी बाहरी तरफ फलेन्ज अटैच होता है। पिस्टन रॉड टैम्परड, डब्ल क्रोमड Double chromed, हॉलो या स्टेनलेस स्टील की बनाई जाती है।

5. हाइड्रोलिक पिस्टन (Hydraulic Piston) :-  पिस्टन, सिलिण्डर को दो चैम्बर में बांटता है। पिस्टन में पिस्टन सील लगी होती है जिसे गाइड रिंग द्वारा गाइड किया जाता है। यह सील तेल को चैम्बर्स में जाने से रोकती है। दोनों चैम्बर के प्रैशर अन्तराल से सिलिण्डर गति करता है।

6. वैल्डड पोर्ट (Welded Port) :- इसका प्रयोग हाइड्रॉलिक फल्यूड सप्लाई के लिए किया जाता है। पोर्ट का व्यास इंचो या मीट्रिक प्रणाली में mm में होता है।

7. सिलिण्डर सील (Cylinder seals) :- यहाँ अनेक प्रकार की सील प्रयोग की जाती है। यह आकार के अनुसार अलग-अलग प्रकार की होती है। इनका मैटेरियल, स्थापित करने की विधि भी अलग-अलग होती है।यहां तक की आप्रेटिंग टैम्प्रेचर रेंज और हाइड्रोलिक सिलिण्डर प्रैशर भी अलग होता है।

8. रॉड एण्ड (Rod end) :- यह सिलिण्डर को स्लाइडिंग बीयरिंग और बुश के द्वारा लोड से जुड़ती है।

9. सैल्फ लॉकिंग नट (Self Locking out):-  इसका प्रयोग पिस्टन रॉड को पिस्टन के साथ जोड़ने के लिए करते है।

10. स्प्रिंग रिंग (SpringRing): इसका प्रयोग सिलिण्डर प्लन्जर के स्ट्रोक को सीमित रखने के लिए करते है।

11. सिलिण्डर ट्रनियन (Cylinder Trunion) : यह सिलिण्डर के pivot को स्थापित करने के लिए करते है।

12. स्क्रू प्लग (Screw plug) :- यह सिलिण्डर को वैल्डिड जोड़ों से बचाता है यह सिलिण्डर को अन्दरूनी अशुद्धियों से बचाता है।

13. बुश (Bushes) :- यह वैल्डिड रॉड के सिरे पर बने होते है। यह स्टील के और सेल्फ लुब्रीकेटिड होते है।

14. स्लाइडिंग बीयरिंग (Sliding Bearing) :- यह सिलिण्डर हैड के अन्दर वैल्ड होते है। यह सिलिण्डर लोड को सहन करते है।


  •  हाइड्रॉलिक सिलिण्डर के प्रकार ।

हाइड्रोलिक सिलिण्डर निम्न प्रकार के होते है :– 

(i) सिंगल एक्टिंग सिलिण्डर (Single Acting Cylinder):- सिंगल एक्टिंग सिलिण्डर में एक हैड एण्ड पोर्ट होता है। यह एक ही दिशा में हाइड्रोलिकली आप्रेट किया जाता है। जब तेल पोर्ट के अन्दर पम्प किया जाता है तो यह प्लन्जर को पुश करता है जिसके कारण यह बढ़ता Extend है। इसकी वापसी हाइड्रॉलिक तेल की रिजर्वव्वायर Reservoir में ड्रेन होने से प्रभावित होती है। लोड के भार के कारण प्लन्जर गिर जाता है या स्प्रिंग के यान्त्रिक बल से प्रेरित होता है।

(ii) डब्ल एक्टिंग सिलिण्डर (Double Acting Cylinder) :- डब्ल एक्टिंग सिलिण्डर में दोनों हैड head और रॉड एण्ड rod ends पर पोर्ट होने चाहिए । पिस्टन हैड के अन्दर पम्पिंग ऑयल द्वारा चलाया जाता है जो पिस्टन को रॉड के विस्तार के लिए ले जाता है। रॉड एण्ड में किसी प्रकार का तेल reservoir में धकेल दिया जाता है। रॉड को वापिस लाने के लिए दोनों तरफ तेल का प्रवाह उल्ट होता है।

(iii) नॉन डिफरेन्शियल सिलिण्डर (Non differential cylinder) :- इस प्रकार के सिलिण्डर में पिस्टन रॉड दोनों सिरों से बाहर की तरफ बढ़ी होती है। इसमें दोनों दिशाओं में श्रस्ट और स्पीड बराबर होती है। यह प्रैशर फलो स्थिर देता है। इस प्रकार का सिलिण्डर Mobile Equipment में प्रयोग नहीं किया जाता है।

(iv) टैलीस्कोपिंग, रैम टाइप, एक्टयूयेटिंग सिलिण्डर (Telescoping, Ram Type, Actuating Cylinder) :- टैलीस्कोपिंग, रैम टाइप,एक्टयूयेटिंग सिलिण्डर सिंगल एक्टिंग या डब्ल एक्टिंग हो सकते है। इस सिलिण्डर की Telescoping assembly में रैमज का जाल सीरिज में होता है। सबसे छोटेहोता है। सबसे छोटा रैम अपवाद के साथ, प्रत्येक रैम खोखली होती हैऔर सिलिण्डर हाऊसिंग के रूप में कार्य करती है अर्थात् उसके अंदर अगली छोटी रैम होती है। रैम असैम्बली में एक मेन सिलिण्डर हाऊसिंग होती है जिसमें फल्यूड पोर्ट होता है। इस प्रकार के सिलिण्डर के लिए एक छोटी सी जगह की आवश्यकता होती है। जिसमें सभी रैम पीछे हटते है। लेकिन Telescoping Action यूनिट का अर्थ है Rams का विस्तार होना जिससे अपेक्षाकृत लम्बा स्ट्रोक प्राप्त किया जा सकता है।

(v) बैलेन्सड, डब्ल एक्टिंग, पिस्टन टाइप सिलिण्डर (Balanced, Double acting, Piston type cylinder) :- एक संतुलित, डब्ल एक्टिंग, पिस्टन टाइप सिलिण्डर के साथ, एक पिस्टन के दोनों किनारों पर कार्य क्षेत्र समान होता है, इसलिए दोनों दिशाओं में उसी बल का प्रयोग होता है।

(vi) कुशन्ड सिलिण्डर (Cushioned Cylinder) :-  एक कुशन्ड गद्देदार सिलिण्डर का डिजायन इस प्रकार का होता है कि वह धीरे क्रिया करे और एक पिस्टन स्ट्रोक के अंत में शॉक लोडिंग Shock Loading को रोकने के लिए डिजायन किया होता है। यह गद्देदार प्रभाव का निर्माण लिमिटिंग या मीटरिंग डिवाइस का सिलिण्डर के अन्दर आऊट लैट पोर्ट पर प्रवाह को रोकने से होता है जिससे पिस्टन की गति धीमी हो जाती है।



  • हाइड्रॉलिक मोटर क्या है ? इसके प्रकार लिखो।



हाइड्रॉलिक मोटर (Hydraulic Motor) :-  हाइड्रॉलिक :एक रोटरी एक्टयूएटर्स Actuators है, यह हाइड्रॉलिक या फल्यूड ऊर्जा  को यान्त्रिक पॉवर में परिवर्तित करती है। यह हाइड्रोलिक पम्प के।साथ अग्रानुक्रम tandem में काम करते है। यह मैकेनिकल पॉवर को fluide या  हाइड्रॉलिक पॉवर में परिवर्तित कर देते है। हाइड्रॉलिक मोटर, बल प्रदान करती है और बाहरी भार को स्थानान्तरित करने के लिए गति प्रदान करती है।


  • प्रकार   (TYPES)

हाइड्रॉलिक मोटर्स आमतौर पर तीन हाइड्रॉलिक मोटर्सकी है जिन्हें आजकल अधिक प्रयोग किया जाता है।

1.गीयर टाइप हाइड्रॉलिक मोटर 

2. वेन टाइप हाइड्रॉलिक मोटर

3.पिस्टन टाईप हाइड्रॉलिक मोटर 

1. गीयर मोटर्स (Gear motors) :- हाइड्रॉलिक गीयर मोटल का प्रयोग प्रायः मोबाइल हाइड्रॉलिकस और कृषि मशीनरी में किया जा सकता है। इसे वहाँ प्रयोग किया जाता है जहाँ हाई आऊटपुट स्पीड की आवश्यकता होती है गीयर मोटर्स निम्न प्रकार की होती है :-

(a) External Gear Motors

(b) Internal Gear Motors

(c) Orbit (Gerotor) Motors

गीयर मोटर में दो गीयर होते है, एक ड्रिवन गीयर है जो आऊपुट शाफ्ट के साथ अटैच है और Idler gear है। इनका कार्य सरल है। हाई प्रैशर ऑयल गीयर का एक साइड में रखा जाता है जहाँ वह गीयर के चारो ओर हाऊसिंग में बहता है आऊटलैट पोर्ट और मोटर से संपीडित होता है गीयर के आपस में मैश करने पर हाई प्रैशर इन लैट फलो को लीक करने से रोकता है। गीयर मोटर इनलैट से आऊटलैट लीक होने पर मोटर कि दक्षता को कम कर देता है और हीट उष्मा भी उत्पन्न करता है। गीयर मोटर्स की लागत कम होती है।

2. वेन मोटर्स (Vane motors) : यह मीडियम प्रैशर और मीडियम लागत रेंज में होती है। वेन मोटर्स (फलक मोटर्स) में उत्केन्द्रिय बोर हाऊसिंग होती है। वेन रोटर्स Vane rotor अन्दर और बाहर स्लाइड करता है। Vane Motors का प्रयोग हाइड्रॉलिड सिस्टम इण्डस्ट्रीयल और मोबाइल उपकरणों में किया जाता है। Vane Motors का जीवनकाल,पिस्टन टाइप मोटर्स की अपेक्षा कम होता है।

3. पिस्टन टाइप हाइड्रॉलिक मोटर्स (Piston type Hydraulic Motors) :- सिलिण्डर ब्लॉक के पिस्टन और ड्राइव शाफट के अनुसार पिस्टन मोटर्स दो प्रकार की होती है।

(i) Axial Piston Motors

(ii) Radial Piston motors

2. डिस्प्लेस्मैन्ट के अनुसार पिस्टन मोटर्स दो प्रकार की होती है।

(i) Fixed displacement piston motors

(ii) Variable displacement piston motors


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